1100 अवर्गीकृत अमेरिका परमाणु लक्ष्य
आपकेअनुसार अवरोध के लिए कितने परमाणु बमों की जरुरत होगी?
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राष्ट्रीय सुरक्षा अभिलेखागार ने हाल ही में अमेरिका परमाणु लक्ष्यो की एक अवर्गीकृत सूची को 1956 से जारी किया, जिसमे पूर्वी यूरोप, रूस, चीन, उत्तरी कोरिया की 1,100 जगाहें शामिल हैं। नीचे का मानचित्र परमाणु बमों की सभी 1,100 जगहों को दिखाता हैं और हमने न्युकमैप के साथ साझेदारी की हैं यह दिखाने के लिए की रूस व संयुक्त राज्य अमेरिका के बीच परमाणु हमला कितना प्रलयंकर हो सकता हैं। आप डॉट्स से किसी पर विस्फोट क्लिक करते हैं, और आप देखेंगे कि कितना बड़ा क्षेत्र आपकी चयनित बम से नष्ट हो जायेगा, और साथ ही कितने लोग मारे जायेंगे।
हालांकि आज की लक्ष्य सूची गोपनीय हैं, यह शायद अधिक भिन्न नहीं लगती होगी। संयुक्त राज्य के पास अभी भी लगभग 1,900 परमाणु हथियार मिसाइल व बोम्बरो पर तैनात हैं (हजारों अधिक रिजर्वो के साथ), जो क्षण भर के नोटिस में लांच करने के लिए तैयार व लक्ष्यों को 30 मिनटों में मारने के काबिल हैं। यह अस्थिर स्थिति अत्यधिक खतरनाक हैं और कई बार दुर्घटना से परमाणु युद्ध ट्रिगर करने के पास आ गयी हैं। इसके आलावा, आज कल के कई हाइड्रोजन बम हिरोशिमा व नागासाकी पर डाले गए बमों से सेकड़ों गुना ज्यादा शक्तिशाली हैं। यदि आज परमाणु युद्ध हो जाए तो, परमाणु सर्दी पृथ्वी के अधिकांश लोगों को मार देगी।
यह एक महत्वपूर्ण सवाल की ओर ले जाता है: हमे वास्तव में कितने परमाणु हथियारो की जरूरत है? नौ में से सात परमाणु देशों ने यह अवधारित किया हैं कि अवरोध के लिए 300 से काम परमाणु हथियारों की आवश्यकता होती हैं, और उन में से किसी पर भी आक्रमण नहीं हुआ हैं। फिर भी, संयुक्त राज्य व रूस प्रत्येक के पास 7,000 परमाणु हथियार हैं — जो की विश्व शस्त्रागार का 90% हैं — दोनों देश इस समय स्थिति को और ख़राब कर रहे हैं, व अपने शस्त्रागार को और अधिक सटीक और घातक परमाणु हथियारों के साथ बढाने के लिए भारी निवेश कर रहे हैं।कई सेन्य विश्लेषकों का यह मानना हैं की संयुक्त राज्य व रूस शक्ति संतुलन की जरूरतों को कम परमाणु हथियारों से पूरा कर सकते हैं। यहाँ तक कि पेंटागन ने भी कहा है कि अमेरिका को परमाणु हमले का अवरोधन करने के लिए 1,000 से अधिक परमाणु बमों की जरूरत नहीं है। लेकिन उनकी बात न माने: मानचित्र के साथ खेलेते देखे की परमाणु हतियार कितने खतरनाक हो सकते हैं!
1100 परमाणु लक्ष्य, रेडियोएक्टिव अवशेष, और मौसम
जबकि मानचित्र परमाणु विनाश की सामान्य त्रिज्या दिखता हैं, मौसमों का प्रतिमान यह दर्शाता हैं की लोगो पर परमाणु हमले के अवशेषों का क्या प्रभाव पड़ेगा। क्यूंकि मौसम दिन ब दिन बदल सकता हैं, यदि हम गलत दिन पर एक देश की सीमा पर परमाणु बम डाले, तो पडौस के देश के लोग भी रेडियोएक्टिव अवशेषों के प्रभाव से ग्रसित हो सकते हैं। रेडियोएक्टिव सामग्री कितनी दूर और किस दिशा में जाती हैं, यह बम के आकर व स्थानीय मौसम पर निर्भर करेगा। निम्न ग्राफ़िक्स में, एलेक्स वेलरस्टेन दो भयावह संभावनाओं का अनुकरण करते हैं (हम निम्न स्लाइडशोज को पूर्ण स्क्रीन विकल्प में देखने के सिफारिश करते हैं ताकि आप और भी आसानी से देख सके की रेडियोएक्टिव सामग्री कहा जाएगी।):
1) क्या होगा अगर सभी 1,100 परमाणु लक्ष्य दिए गए आकर के परमाणु बमों द्वारा मार दिए जाए?
इस स्लाइडशो में, बम बड़े होते जाते हैं, और परमाणु अवशेष लक्ष्य से दूर फैलते जाते हैं जो की स्थानीय मौसम के हिसाब से निर्धारित होता हैं। ध्यान रहे की यह स्लाइडशो परमाणु सर्दी का प्रभाव नहीं दिखता हैं: यदि परमाणु आग से पर्याप्त धुआ समताप मंडल में उड़ता हैं, तो यह हमारे ग्रह में फ़ैल सकता हैं और दशको तक चलने वाले छोटे हिम युग व खेती पतन का करक बन सकता हैं, जो संभाव्यता पृथ्वी के 7 अरब में से अधिकतर लोगो की मौत का कारक बन सकता हैं।
2) अगर तीन अलग अलग दिनों पर बमों को डाला जाए तो रेडियोएक्टिव अवशेषों की दिशा कैसे बदलेगी?
इस मामले में, हम अप्रैल 29, अप्रैल 30 और मई 1 2016 के मौसम के डेटा का प्रयोग कर सकते हैं यह देखने के लिए की परमाणु अवशेषों की दिशा कैसे बदलेगी यदि 100 के.टी. के बम 1,100 परमाणु लक्ष्यों पर डाले जाए (आज कल के बम कई गुना ज्यादा ताकतवर होते हैं)। भिन्न मौसम हर दिन अलग अलग दिशा में परमाणु अवशेषों को भेजेगा। जर्मनी, डेनमार्क और फिनलैंड जैसे देशो पर खास ध्यान दे , जो रेडियोएक्टिव अवशेषों से ग्रसित हो सकते हैं यदि परमाणु लक्ष्यों पर गलत दिनों में आक्रमण किया जाए।